
वर्ष 2011 विशेष रूप से जाना जायेगा क्रांतिकारी वर्ष के रूप में. जहाँ एक और देश भ्रस्टाचार से मुक्त होने जा रहा है वहीँ रोजगार के भावी अवशर लेकर दमदार तरीके से पुनः आ रहा है एक गोरवान्वित नाम स्पीक एशिया. स्पीक एशिया का पुनर्जन्म एक अवतार के रूप में होने जा रहा है. जो एक ऐसे दिव्य पुंज के सामान है जो धीरे धीरे एक बड़ा रूप लेगी व जिसके तेज से सारी आशुरी शक्तियां नष्ट हो जाएँगी ये वो आशुरी शक्तियां हैं जो एम एल एम के नाम पर झूठे सपने दिखाकर लोगों की भावनाओं के साथ वर्षों से खिलवाड़ करती आ रही हैं. पिछले एक वर्ष में स्पीक एशिया का आना फिल्म के एक ट्रेलर के सामान था जिससे दूसरी एम एल एमों के छक्के छुट गए अभी तो फिल्म आनी बाकी हैं.
वैसे भी जो हमारी विरोधी ताकतें हैं वो स्पीक एशिया का स्थायित्व खत्म कर देना चाहती हैं ताकि स्पीक एशिया हिंदुस्तान में काम न कर सके. यही इन दुश्मनों की मंशा भी रही है. जो अब विफल होती जा रही है.
स्पीक एशिया की सबसे पहली जीत सामने आ चुकी है वो है हमारे सी ओ ओ साहब का युद्धभूमि से विजयी होकर लोटना. क्योंकि ग्यारह मई से लेकर अब तक पेनेलिस्टों ने लम्बा इन्तजार किया है व कंपनी को अपना पूर्ण समर्थन दिया है. ऐसे में हम सभी पेनेलिस्ट आभारी हैं कंपनी के पवित्र सिस्टम के लिए.
इसीलिए तो कहा है हमें स्पीक एशियन होने पर गर्व है.
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